Saturday, January 19, 2019

सोचते हैं

पुरानी कहानियां हैं कई
नई कलियों सी उभरती हैं ज़ुबां पर
सुनाएंगे आपको, सोचते हैं
मगर आपकी नज़रें अलग बातें करती हैं, चुप रहतीं ही नहीं

पुराने ख्वाब हैं कई
नए रंगों से खेलते हैं उंगलियों पर
सजा दें आपके बदन पर, सोचते हैं
मगर आपका मिजाज़ बड़ा चंचल है, आप ठहरते ही नहीं

पुराने गीत हैं कई
नए तरानों से गूंजते हैं कानों में
आपके नाम सुनाएंगे किसी महफ़िल में, सोचते हैं
मगर बोल साथ नहीं देते, आपका नाम छोड़ कुछ याद रहता ही नहीं

पुराने ज़ख्म हैं कई
गुलाब के कांटों से रह रह चुभते हैं
आपसे मलहम कराएंगे, सोचते हैं
मगर मुस्कुराते रह जाते हैं, इश्क़ में बाकी एहसास टिकते ही नहीं

पुरानी मोहब्बतें हैं कई
नए चुटकुलों सी हंसाती हैं
आपको हंसाएंगे कभी, सोचते हैं
मगर डूब जाते हैं आपकी आवाज़ में, डूबते को हंसी आती नहीं

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